ईस्टर क्या है कब और क्यों मनाया जाता है | aahar jharkhand

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एस्टर डे ईसाइयो के लिए बेहद ही खास दिन होता है ईस्टर का त्यौहार गुड फ्राइडे के तीसरे दिन मनाया जाता है माना जाता है इस दिन ईसाइयो के मसीह ईशा मसीह के मृत्यु के तीन दिन बाद जीवित हो गए थे पुनर्जन्म की ख़ुशी में ईसाई धर्म के लोग त्यौहार मनाते है इसलिए इस पर्व को बड़ी धूम-धाम से बनाया जाता है ईसाई धर्म से जुड़े लोग गुड फ्राइडे (गुड friday) ईशा मसीह को याद करते है इस साल ये पर्व 9 अप्रैल रविवार को बनाया जाएगा। इस दिन को ईसाई धर्म के लोग चर्च में बड़ी संख्या में मिलते है और प्रभु यीशु मसीह के पुनःजीवित होने की खुशी मनाते है आइये विस्तार से जानते है ईस्टर क्या है कब और क्यों मनाया जाता है

ईस्टर क्या है कब और क्यों मनाया जाता है | Easter Sunday in hindi

Easter sunday क्या होता है?

ईस्टर संडे – ईस्टर पर्व को ले कर कई मान्यता है कहा जाता है सत्य और अहिंसा के प्रभु थे दुनिया को सत्य और प्रेम का संदेश देने वाले थे एक दिन प्रभु यीशु को धार्मिक कट्टरपंथी ने सूली पर चढ़ा दिया था सूली पर चढ़ाने के बाद उनके अनुयायी बहुत निराश हो गए जबकि तीन दिन बाद वे जीवित हो गए जीवित होने के बाद ईशा मसीह 40 दिन तक आपने शिष्यों के साथ रहे 40 दिन तक अपने शिष्यों को सत्य और प्रेम का ज्ञान बांटा। मान्यताओं के अनुसार उनके पुनर्जन्म का उद्देस्य उसके शिष्यों को असत्य पर सत्य और हिंसा पर अहिंसा का मार्ग दर्शन के लिए हुआ था फिर 40 दिन के बाद यीशु हमेशा के लिए स्वर्ग चले गए। ईस्टर का पर्व मसीहियों की आस्था से जुड़ा पर्व ही है।

Easter Sunday कैसे मनाया जाता है?

ईस्टर का पहला सप्ताह, ईस्टर सप्ताह कहलाता है इस पर्व पर ईसाई धर्म के लोग अपने घरों को सजाते है चर्च को मोमबत्ती और अलग-अलग लाइट्स से जगमगाया जाता है इस दिन मुख्य रूप से बाइबल का पाठ किया जाता है सभी चर्चो को सजाया जाता है इस दौरान प्रार्थना की जाती है कुछ लोग व्रत भी रखते है मान्यताओं के अनुसार ईशा मसीह को नुकसान करने वाले लोगो को माफ़ कर दिया था उनकी सोच थी शत्रुता भुला कर क्षमा का संदेश लोगो तक फैलाना। ईशा मसीह हमेशा सत्य के रास्तें पर चलते थे इसलिए आज भी उनको याद किया जाता है इस खास दिन पर ईसाई लोग प्रभु यीशु के जीवित होने पर एक-दूसरे को बधाई देते है यह त्योहार पूरी दुनिया में बड़े ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

ईस्टर संडे पर अंडों का क्या महत्व है?

ईसाई धर्म में अंडो को पुनरुथान का प्रतीक माना जाता है इस दिन अंडों का विशेष महत्व होता है ईस्टर संडे पर अंडों को अलग-अलग रंगों से सजाते है अंडे सजा कर एक – दूसरे को गिफ्ट करते है ईस्टर संडे के दिन ईसाई लोग अंडों को छुपाने की प्रथा भी है इन अंडों को जीवन की नयी शुरुवात के रूप में माना जाता है जिस प्रकार अंडे में से नए प्राणी का जन्म होता है वैसे ही अंडों को नई शुरूआत और उमंग का प्रतीक माना गया है

ईस्टर क्यों बनाया जाता है (कथा)

मान्यताओं के अनुसान कई सालों पहले भगवान ने इस धरती पर इंसान के रूप में जन्म लिया था जिसका नाम था यीशु। यीशु हमेशा से सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले, लोगो को ज्ञान बांटने वाले थे कई लोग उन्हें चमत्कारी भी कहते थे लोगो में उनके प्रति बहुत श्रद्धा थी सभी लोग उनके प्रवचन सुनते और उनको ही प्राथमिकता देने थे कुछ लोगों का उन पर विश्वास नहीं था क्योकि कुछ पंडितों और पुरोहितो का धंधा बंद होने लग गया। जिसकी वजह से वो निराश रहा करते थे।

लोगों का यीशु पर से विश्वास खत्म करने के लिए उन्होंने रोमन साम्राज्य के शासक को यीशु के खिलाफ भड़काया। शत्रु द्वारा यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। कुछ लोगो ने उन्हें पहले बहुत मारा फिर उन्हें एक दीवार की कील पर लटका दिया गया यीशु की मृत्यु के बाद उनके शिष्य बहुत निराश थे उनका यीशु के ऊपर से विश्वास उठा नहीं था यीशु की मृत्यु के बाद उनके लटकते शरीर को निकालने के बाद उन्हें एक गुफा में ले जाकर रख दिया और फिर गुफा के सामने एक बड़ा सा पत्थर रख दिया ताकि कोई इंसान या जानवर वहाँ न जाये।

कहा जाता है तीन दिन बाद एक महिला उस बड़े से पत्थर को हटा कर अंदर देखा। अंदर जा कर उसने देवदूत को देखा जिसको देख कर वो काफी डर गयी थी फिर उसने यीशु की कब्र की तरफ देखा तो वो वहाँ नहीं थे तभी उनके सामने जीवित यीशु प्रकट हो गए। इस घटना को “पुनरुत्थान” कहा गया। मतलब मृत्यु होने के बाद फिर से जीवित हो जाना। प्रभु यीशु प्रकट होने की बात सब जगह फ़ैल गयी। यीशु 40 दिन तक सिर्फ अपने शिष्यों को दिखाए दिए। ईसा मसीह पुनरुत्थान के बाद वे 40 दिन तक अपने शिष्यों के साथ समय बिताया। 40 दिन के अंदर उन्होंने अपने शिष्यों को उपदेश के लिए ईश्वरीय शक्ति,साहस और ज्ञान प्राप्त करने के मार्ग सिखाया। 40 दिन के बाद यीशु स्वर्ग में चले गए।

ईसाई धर्म के मूल विश्वास

ईसाई धर्म से लाखों लोंगो की आस्था जुड़ी हुई थी उनका मूल विस्वास इस प्रकार था –

  • अपने पापों का पश्चाताप करना, ईश्वर से प्रेम करना,अपने आस-पास के लोगो को प्रेम बांटना और अपने समान समझना।
  • दया और क्षमा के महत्व में विश्वास, एक-दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना।
  • पवित्र बाइबिल के महत्व में विश्वास करना।
  • एकेश्वरवाद: एक ईश्वर में विश्वास, स्वर्ग और पृथ्वी का निर्माता करना।
  • तीन पवित्र मूर्ति में विश्वास करना – ईश्वर पिता, पुत्र, पवित्र आत्मा जो पवित्र आत्मा के रूप में सबके अंदर होनी चाहिए।

Easter Sunday से सम्बंधित पूछे गए सवालों के जवाब

ईस्टर पर्व का सबसे ज्यादा महत्व कौन-से धर्म में है?

ईस्टर पर्व का सबसे ज्यादा महत्व ईसाई धर्म में है।

Easter Sunday को कैसे मनाया जाता है?

इस दिन ईसाई धर्म के लोग अपने घरों को सजाते है चर्च में बहुत सारे मिल कर चर्च को लाइट और मोमबत्ती से जगमगाते है और एक दूसरे को बधाई दे कर खुशी बनाते है बाइबल का पाठ करते है अपनी गलतियों की माफ़ी यीशु से मानते है।

इस साल Easter Sunday 2023 कब आ रहा है?

इस साल ईस्टर पर्व 9 अप्रैल के दिन संडे को आ रहा है।

ईस्टर पर्व किसकी याद में बनाया जाता है?

ईस्टर पर्व यीशु मसीह (ईसाइयो का मशिया) की याद में बनाया जाता है।

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